प्रिंट करें या काटें...
दोनों रिटायर हो चुके थे
क्योंकि इसे कभी भी पार नहीं किया गया
फिर भी स्थिति ठीक थी
वह हाथों में हाथ डाले चल रही थी
वह राजा था और वह रानी थी
जिंदगी गा रही थी
वह झूल रहा था
कृतार्थ कृतज्ञता का जीवन जी रहा था
अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई
फिर भी पंचायत हुई
वह बहुत सक्रिय थी
लेकिन, किसी तरह ये गुजर जाता है
अब वह सतर्क हैं
तुरंत बीमा कंपनी से संपर्क करें
विरासत को पुनः आश्वस्त करता है
मृत्यु प्रमाण पत्र तैयार करता है
अगले दिन वह बैंक जाता है
पासबुक अपने हाथ में रखती है
डेबिट कार्ड को मशीन में डालता है
उससे पैसे निकलवाता है
उसे फिर से ले जाता है
बिजली और पानी के दफ्तर में जाता है
वह उसे लाइन में खड़ा कर देता है
वह बिल का भुगतान करने के लिए समझाता है
अचानक उसे एक सरप्राइज देता है
एक टचस्क्रीन मोबाइल रखता है
वाई-फाई, बताता है नेट का मजा
एक नया साथी जोड़ता है
वह बाहरी दुनिया में चलने लगती है
हर लेन-देन देखने लगता है
उसका आत्मविश्वास बढ़ने लगता है
वह राहत महसूस करते हुए धीरे-धीरे मुस्कुराता है
वह उसमें बदलाव देखती है
वह जानता है कि मन में क्या है
थोड़ा-थोड़ा समझ में आता है
इसकी चिंता है
एक दिन कुछ घटित होता है
वह कुछ मज़ाक करती है
नकली बीमारी
बिस्तर पर ही रहता है
वह सुबह-सुबह चाय मांगती है
और रसोई अस्त-व्यस्त हो जाती है
चाय में चीनी कम होती है
फिर भी वह इसकी सराहना करती हैं
नाश्ते के लिए एक उपमा बनाई गई है
लेकिन, यह हल्दी के रंग में काफी रंगा हुआ होता है
दिन पर दिन बीतता जाता है
और वह किचन में मास्टर बन जाता है
किसी को पहले जाना होगा
कोई तो पीछे रह जाएगा
लेकिन, बाद अब नहीं रुकेगी
और चिंता का कोई कारण नहीं होगा
सह-अस्तित्व का सिक्का चल रहा है
यह जमीन पर गिरेगा
सबसे पहले, जब कांटा बैठता है, तो छाप दिखाई देती है
सवाल वही है...
- राजन पोल
7588264328
सभी वरिष्ठ नागरिकों को शुभकामनाएँ और उनके अच्छे स्वास्थ्य और समर्थन की कामना करता हूँ।
Marathi Original
एक छान कविता. छापा की काटा...
दोघांचीही निवृत्ती झाली होती
साठी कधीच ओलांडली होती
अजूनही परिस्थिती ठीक होती
हातात हात घालून ती चालत होती
तो राजा ती राणी होती
जीवन गाणे गात होती
झुल्यावरती झुलत होती
कृतार्थ आयुष्य जगत होती
अचानक त्याची तब्बेत बिघडते
मग,मात्र पंचायत होते
तिची खूपच धावपळ होते
पण,कशीबशी ती पार पडते
आता तो सावध होतो
लगेच इन्शुरन्स कंपनी गाठतो
वारसाची पुन्हा खात्री करतो
मृत्यू-पत्राची तयारी करतो
दुसर्या दिवशी बँकेत जातो
पासबुक तिच्या हातात ठेवतो
डेबीट कार्ड मशीनमध्ये घालतो
तिलाच पैसे काढायला लावतो
पुन्हा तिला सोबत घेतो
वीज-पाण्याच्या ऑफिसात जातो
तिलाच रांगेत उभं करतो
बिल भरायचं समजाऊन सांगतो
अचानक तिला सरप्राईज देतो
टचस्क्रीन मोबाईल हाती ठेवतो
वाय-फाय, नेटची गंमत सांगतो
नवा सोबती जोडून देतो
बाहेरच्या जगात ती वावरू लागते
प्रत्येक व्यवहार पाहू लागते
कॉन्फीडन्स तिचा वाढू लागतो
निश्चिंत होत तो हळूच हसतो
बदल त्याच्यातला ती पहात असते
मनातलं त्याच्या ओळखतं असते
थोडं थोडं समजतं असते
काळजी त्याचीच करत राहते
एक दिवस वेगळेचं घडते
ती थोडी गंमत करते
आजारपणाचा बहाणा करते
अंथरूणाला खिळून राहते
भल्या पहाटे ती चहा मागते
अन् किचन मध्ये धांदल उडते
चहात साखर कमी पडते
तरीही त्याचे ती कौतुक करते
नाष्ट्यासाठी उपमा होतो
पण,हळदीच्या रंगात खूपच रंगतो
दिवसा मागून दिवस जातो
अन् किचनमधला तो मास्टर होतो
कोणीतरी आधी जाणार असतं
कोणीतरी मागं रहाणार असतं
पण,मागच्याच आता अडणार नसतं
अन् काळजीच कारण उरणार नसतं
सह-जीवनाचं नाणं उडत असतं
जमीनीवर ते पडणार असतं
आधी, काटा बसतो की छापा दिसतो
प्रश्न एकच छळत असतो...
-राजन पोळ
७५८८२६४३२८
सर्व जेष्ठ नागरिकांना शुभेच्छा आणि आयूरारोग्य, आधार मिळो हीच ईश्वरचरणी प्रार्थना.
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